बिजली की चिंगारी से लगी आग से गेहूं की फसल राख
स्थान: बलिया, उत्तर प्रदेश
तारीख: 13 अप्रैल 2025
बलिया जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों गेहूं की फसल की कटाई व मड़ाई का कार्य तेजी से चल रहा है। ऐसे में एक छोटी सी लापरवाही भी किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फेर सकती है। ऐसा ही एक हृदयविदारक हादसा बलिया जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र के एक गांव में देखने को मिला, जहां बिजली की चिंगारी से भड़की आग ने किसानों की गेहूं की तैयार फसल को राख में बदल दिया।
जानकारी के अनुसार, रविवार को दोपहर करीब दो बजे अचानक खेतों के ऊपर से गुजर रही बिजली की लाइन से चिंगारी गिर गई। यह चिंगारी सबसे पहले खेत में रखे सूखे फूस पर गिरी और देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। हवा तेज होने के कारण आग ने कुछ ही मिनटों में आसपास के कई खेतों को अपनी चपेट में ले लिया। जब तक गांववाले कुछ समझ पाते, तब तक कई एकड़ में फैली गेहूं की तैयार फसल जलकर राख हो चुकी थी।
ग्रामीणों ने अपने स्तर पर आग बुझाने की भरपूर कोशिश की। बाल्टी, पाइप, ट्यूबवेल आदि के सहारे पानी डालकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया। सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक काफी नुकसान हो चुका था। दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया।
इस हादसे में करीब 8 किसानों की फसल पूरी तरह जलकर नष्ट हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि लाखों रुपये की क्षति हुई है। प्रभावित किसानों में रामलाल यादव, शिवप्रसाद गुप्ता, सुरेश वर्मा, हरिश्चंद्र सिंह समेत अन्य किसान शामिल हैं। सभी किसान सदमे में हैं और जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
गांव के प्रधान ने बताया कि बिजली विभाग की लापरवाही के चलते यह हादसा हुआ है। वर्षों पुरानी बिजली लाइनें झूल रही हैं और समय-समय पर स्पार्किंग होती रहती है। कई बार शिकायत के बावजूद विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यदि समय रहते मरम्मत की जाती तो यह हादसा टल सकता था।
उधर, तहसील प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ित किसानों से बातचीत कर नुकसान का आकलन किया। उपजिलाधिकारी ने बताया कि नुकसान का सर्वे करवाकर जल्द ही राहत राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही बिजली विभाग को भी सख्त निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए तुरंत मरम्मत कार्य करवाया जाए।
यह हादसा एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि आधुनिकता की दौड़ में हम बुनियादी संरचनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। बिजली व्यवस्था की लापरवाही न केवल आर्थिक क्षति पहुंचा रही है, बल्कि किसानों के मनोबल को भी तोड़ रही है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए जाएं ताकि किसानों की मेहनत यूं ही राख न हो।