महादेव की शक्ति: आत्म जागरण की ओर एक यात्रा
महादेव की शक्ति: आत्म जागरण की ओर एक यात्रा महादेव, जिन्हें शिव, भोलेनाथ, आदिदेव, और त्रिनेत्रधारी के नाम से भी जाना जाता है, केवल एक देवता नहीं हैं बल्कि वे संपूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा, चेतना और शक्ति के प्रतीक हैं। उनका अस्तित्व एक साधारण व्यक्ति के जीवन में न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि आत्म जागरण की गहन प्रक्रिया का मार्गदर्शक भी है। शिव का दर्शन व्यक्ति को अपने भीतर छिपी अनंत शक्ति को पहचानने और उसे आत्म-ज्ञान में परिवर्तित करने की प्रेरणा देता है। शिव का स्वरूप और उसका गूढ़ अर्थ शिव के स्वरूप को ध्यान से देखें तो उनकी हर छवि में गहरे प्रतीकात्मक अर्थ छिपे हैं। उनके मस्तक पर गंगा का प्रवाह, तीसरी आंख, गले में सांप, त्रिशूल और डमरू—ये सभी तत्व आत्म जागरण की प्रक्रिया को दर्शाते हैं। 1. तीसरी आंख शिव की तीसरी आंख को आत्म-जागरण और गहन चेतना का प्रतीक माना जाता है। यह दर्शाती है कि जीवन में केवल भौतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि अंतर्मन की दृष्टि से देखना चाहिए। आत्म जागरण का पहला चरण है भीतर की आंख को खोलना और सच्चाई को देखना। 2. त्रिशूल त्रिशूल शिव की तीन शक्तियों—इच्छा (इच्...